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    मुरली मनोहर जोशी

    Murli Manohar Joshi

    डॉ. मुरली मनोहर जोशी

    जन्मजनवरी 05, 1934
    जन्म स्थानदिल्ली
    पिताश्री मन मोहन जोशी
    पत्नीश्रीमती तरला जोशी
    बच्चे2
    व्यवसायराजनेता, शिक्षाविद
    शिक्षास्नातक (भौतिक), डॉक्टरेट
    सम्मानपद्म विभूषण


    वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी ग्राम गल्ली अल्मोड़ा के मूल निवासी है और वर्तमान में इलाहबाद में स्थाई प्रवास है। प्रखर राष्ट्रवादी चिन्तक, विचारक और राजनेता। शिक्षाविद् और लेखक। हिन्दू दर्शन के व्याख्याकार। भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक महासचिव और पूर्व अध्यक्ष। भू.पू. गृह एवं मानव संसाधन विकास मंत्री।


    प्रारम्भिक जीवन


    मुरली मनोहर जोशी जी का जन्म 5 जनवरी 1934 को दिल्ली में हुआ था और उनके पिता का नाम मन मोहन जोशी था। उनकी पत्नी का नाम तरला जोशी है जिनसे उन्हें दो बेटियां हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा उत्तराखंड से की। स्नातक की पढ़ाई के लिये वे मेरठ कालेज गये और वहां से स्नातक की डिग्री हासिल करी। आगे की पढ़ाई के लिये जोशी जी ने इलाहाबाद चले गए और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परस्नातक में एम. एस. सी (भौतिक) की डिग्री हासिल की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही आगे अपनी अध्ययन को बढ़ाते हुये डॉक्टरेट की उपाधि हासिल किये। उनका शोध का विषय स्पेक्ट्रोस्कोपी था और उन्होंने हिन्दी भाषा में अपना शोध पत्र प्रस्तुत किये और वो हिंदी भाषा में प्रस्तुत करने वाले प्रथम शोध छात्र थे। 1958 में इलाहाबाद वि.वि. से डी.फिल. की उपाधि ग्रहण की। इलाहाबाद वि.वि. में लेक्चरर बनकर अध्यापन के क्षेत्र में उतरे। 1994 में प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष (भौतिक विज्ञान) पद से सेवा निवृत हुए। 1944 से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में परिचित हैं। 1949 से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे। 1957 में भारतीय जनसंघ की सदस्यता ग्रहण की। आर.एस.एस. से प्रतिबन्ध हटाने के लिए सत्याग्रह करने पर 1948 में बंदी बनाए गए। ज्ञातव्य है, 30 जनवरी 1948 करे महात्मा गांधी की हत्या हो जाने के बाद सरकार ने आर.एस.एस. पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। इन्दिरा गांधी के प्रधान मंत्रित्व काल में आपातकाल में 26 जून, 1975 से 1977 तक ‘मीसा’ के अन्तर्गत बन्दी रहे। 1977 में जनसंघ का जनता पार्टी में विलय से पहले प्रदेश सचिव और उपाध्यक्ष रहे।


    राजनीतिक जीवन


    युवा अवस्था से ही मुरली मनोहर जोशी जी को राजनीति की तरफ झुकाव रहा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ही अपने प्राध्यापक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उर्फ़ रज्जू भैया जी के मार्गदर्शन में आने के कारण कुछ समय में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े गए और गौ रक्षा सम्बन्धी आंदोलनों में भागेदारी की। 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई तो मुरली मनोहर जोशी जी ने पूरा आगे आकर सहयोग किया और फिर उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। 1996 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार 13 दिनों के लिए बनी थी तब मुरली मनोहर जोशीजी देश के गृहमंत्री की जिम्मेदारी संभाली थे और 13 दिनों के लिए वह गृहमंत्री रहे। जब भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की स्थापना की तो जोशी जी ने मंत्रिमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में काम किया। इन्होंने कानपुर बनारस और इलाहाबाद जैसे शहरों में अपने एक अच्छे व्यक्तित्व के बदले चुनाव में जीत दर्ज की है। 2004 के लोकसभा चुनाव में वे जीत हासिल न कर सके। 2014 के लोकसभा के चुनाव में मुरली मनोहर जोशी जी ने बनारस से चुनाव लड़ा और जीत हासिल करी, बाद में उनको इस सीट को नरेंद्र मोदी जी के लिए खाली करना पड़ा और कानपुर से फिर चुनाव लड़े और 2.23 लाख की भारी अंतर से जीत हासिल करी। हिन्दुत्व के प्रबल समर्थक होने के कारण इनहें कुछ लोग कट्टरपंथी तक कहते हैं। विदेशी घुसपैठियों और आई.एस.आई के विरुद्ध डा.जोशी ने कई बार मोर्चा सम्भाला। भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष रहते इन्होंने सन 1992 में कन्याकुमारी से कश्मीर तक 'एकता यात्रा' की और आतंकवाद के गहरे साए में 15 अगस्त को श्रीनगर (कश्मीर) के लाल चौक में राष्ट्रीय झण्डा फहराया। इनके साहस, संकल्प, दृढ़ इच्छा शक्ति और हिन्दू राष्ट्र की उत्कट मनेच्छा का यह अनोखा उदाहरण था। 6 दिसम्बर 1992 को उफनते राष्ट्रवाद ने अयोध्या स्थित ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। अन्यों के साथ जोशी जी पर भी उक्त मस्जिद को ध्वस्त करने का आरोप मढ़ दिया गया। फलस्वरूप गिरफ्तार कर लिए गए।


    सम्मान


    2017 में मुरली मनोहर जोशी जी को पद्म विभूषण के पुरस्कार से समानित किया गया।


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