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    शंकर दत्त जोशी

    vinod pant

    शंकर दत्त जोशी

    जन्म-
    जन्म स्थानग्राम बगस्वाड़, जैंती (अल्मोड़ा)
    पिताश्री धर्मानंद जोशी
    माताश्रीमती देवकी देवी
    पेशाकुमाउनी रचनाकार

    शंकरदत्त जोशी की प्रारंभिक शिक्षा प्राइमरी पाठशाला पजीना (लमगड़ा,अल्मोड़ा) से हुई। जोशी जी ने इंटर सर्वोदय इंटर कॉलेज जैंती से उत्तीर्ण किया। उसके पश्चात बी.एस. सी. की पढ़ाई नैनीताल से तथा बी.एड व एम.ए. की पढ़ाई अल्मोड़ा से की। 2005 में राजकीय प्राइमरी विद्यालय सूरी, जैंती से अध्यापक के रूप में नौकरी की शुरुआत की।


    लेखन में जोशी जी ने सर्वप्रथम हिंदी व उसके बाद कुमाउनी में रचनाएं लिखनी शुरू की। जोशी जी को कविता, व्यंग व कहानी लिखना काफी पसंद है।


    दूरदर्शन देहरादून व आकाशवाणी अल्मोड़ा से कवि गोष्ठि व कवि सम्मेलन में भी जोशी जी को अपनी रचनाएं सुनाने हेतु आमंत्रित किया गया है। साथ ही जोशी जी की एक ऑडियो सीडी "हंस न पगली" भी रिकॉर्डिंग के तौर पर रिलीज हुई है।


    प्रकाशित कृतियां


    1.आंमक बगस (कुमाउनी)
    2. गांव की याद ट्रेन तक (हिंदी)


    पुरुस्कार


    ⚬ शेर सिंह बिष्ट "शेर दा अनपढ़" स्मृति सम्मान, रुद्रपुर
    ⚬ कुमाउनी भाषा प्रचार समिति कसार देवी "पहरू" द्वारा लेखन पुरुस्कार


    "ईजा नया साल मुबारक !"

    ठुलिईजा सुबह सुबह उठी
    गरम पानी किया नहाया
    नए साल का पहला दिन
    लगड़, पुए, पक्वान
    धुपैन उठाया।
    त्योहार था इसलिए
    धूपबत्ती जलाई
    मंदिरों में घंटी बजाई।
    इंतजार था.....
    बेेटे का फोन आएगा
    खूब बातें होंगी
    हँसाएगा रुलाएगा
    इतने में फोन की घंटी बजी
    बेटे का फोन आया
    हैप्पी न्यू ईयर
    ईजा नया साल मुबारक!
    मैं फिर बात करूँगा
    अभी तू फोन रख।
    ठुलिईजा बेचारी
    दिनभर इंतज़ार में थी
    बेटे का फोन आएगा
    जरूर घंटी बजाएगा
    कुशलबाद पूँछूँगी
    आशिर्वाद दूँगी
    दिन बीता शाम आई
    फिर हुई रात
    पर बेटे ने नहीं करी बात।
    ठुलिईजा के कानों में
    गूँजता रहा रातभर
    "ईजा नया साल मुबारक"
    - शंकर जोशी


    "घ्यु त्यार"
    ...._.........
    घ्यूई न्हां
    कैक घ्यु त्यार।
    घ्यु झै न खा सकीत
    जौन पै!, जानै पड़ल!
    गड्यावकि ज्यूनि।
    खानि त घ्यु खानें नाई
    खूब झरफर,
    डुबि रई धिनाई में।
    आँगूव सब घ्यु में
    ख्वर कढ़ाई में।
    हमुई जास गरीब
    बननि गड्याव।
    और घ्यु खान न सिखलात
    बनते रौल गड्याव
    लोग बनाते रौल गड्याव ॥
    - शंकर जोशी


    Rajendra Dhela

    श्री राजेंद्र ढैला जी द्वारा लिए गए कुमाउनी इंटरव्यू©हमार कुमाउनी रचनाकार【27】पर आधारित
    पूरा इंटरव्यू यहाँ देखें -
    श्री विनोद पंत - कुमाउनी इंटरव्यू


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