KnowledgeBase


    मेजर दुर्गा मल्ल

    Durga Malla

    मेजर दुर्गा मल्ल

    जन्म1 जुलाई, 1913
    जन्म स्थानडोईवाला, देहरादून
    पिताश्री गंगा राम मल्ल छेत्री
    माताश्रीमती पार्वती देवी छेत्री
    पत्नीश्रीमती शारदा देवी
    सेवागोरखा रायफल्स, आजाद हिन्द फौज
    मृत्यु25 अगस्त, 1944

    मेजर दुर्गा मल्ल आजाद हिन्द फौज के प्रथम गोरखा सैनिक थे। इनका जन्म देहरादून के डोईवाला में हुआ था। इनके पिता गंगा राम मल्ल गोरखा राइफल्स में नायब सूबेदार के पद पर थे। इनकी प्राथमिक शिक्षा गोरखा मिलिटरी विद्यालय से हुई थी। बचपन से ही वे आजादी के लिए विभिन्न गतिविधियों में भाग लेते रहे। वे अपने साथियों के साथ गोरखा रेजीमेंट के रिहायशी क्वार्टरों की दीवारों पर आजादी समर्थक पोस्टर लगाया करते थे।


    1931 में दुर्गा मल्ल गोरखा रायफल्स की 2/1 बटालियन में भर्ती हुए, तब वे मात्र 18 वर्ष के थे। सेना में उनके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें सिग्नल हवलदार के पद पर पदोन्नती दी गई। 1941 में एक युद्ध में जाने से पहले वे घरवालों से मिलने धर्मशाला गए हुए थे, तब वहीं घरवालों ने उनका विवाह शारदा देवी से करवा दिया था। 1942 में कुछ मित्रों के साथ गोरखा राइफल्स को छोड़कर सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज में भर्ती हो गए। शुरू में उन्हें आजाद हिंद फौज के लिए सैनिकों की भर्ती की जिम्मेदारी दी गई। इसके पश्चात उन्हें मेजर पद पर पदोन्नत कर दिया गया। 27 मार्च 1944 में आजाद हिन्द फौज की गुप्तचर शाखा के सदस्य के रूप में मणिपुर में कोहिमा के पास उखरूल में जासूसी के आरोप में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन पर मुकदमा हुआ व कई यातनाएं दी गई। 15 अगस्त 1944 को उन्हें लाल किले की सेंट्रल जेल लाया गया। जेल में एक बार उन की पत्नी को उनसे मिलने का मौका दिया गया। वहां उन्होनें अपनी पत्नी से कहा- “जो बलिदान मैं देने जा रहा हूं वो व्यर्थ नहीं जाएगा। भारत आजाद होगा, मुझे भरोसा है। कुछ ही समय की बात है, शारदा.... फिक्र मत करो, करोड़ों हिंदुस्तानी तुम्हारे साथ है।" दस दिन बाद 25 अगस्त 1944 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया। दुर्गा मल्ल को आजाद हिंद फौज के प्रथम वीरगति प्राप्त फौजी होने का गौरव प्राप्त है।


    17 जुलाई 2004 में भारत सरकार द्वारा उनकी वीरता और निस्वार्थ बलिदान को सम्मानित करते हुए संसद भवन में उनकी एक प्रतिमा की स्थापना भी की गई है। 25 अगस्त उनकी पुण्यतिथि को गोरखाओं द्वारा बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।


    उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि

    हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: फेसबुक पेज उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि

    हमारे YouTube Channel को Subscribe करें: Youtube Channel उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि

    Leave A Comment ?