राम सिंह धौनी (1893-1930): गाँव तल्ला बिनौला, तल्ला सालम, तहसील जैंती, अल्मोड़ा। महान देशभक्त, सन 1921 में देश में सर्वप्रथम 'जयहिन्द' का उद्घोष करने वाले राष्ट्र प्रेमी, तत्कालीन भारतीय रियासतों में राजनीतिक आन्दोलनों के जन्मदाता, सालम क्षेत्र के पहले स्नातक, सम्पादक और पत्रकार। धौनी जी ने नेताजी सुभाष चन्द्र से पहले ही 1920-21 में 'जय हिन्द' का नारा दे दिया था वे अभिवादन के तोर पे पत्रों और बोलचाल में 'जय हिन्द' का प्रयोग किया करते थे।
1911 में वर्नाक्यूलर मिडिल परीक्षा सारे प्रान्त में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। 1919 में इलाहाबाद वि.वि. से बी.ए. की डिग्री ली, तत्कालीन कुमाऊँ कमिश्नर पी.विढ़म ने धौनी जी को तहसीलदार की नौकरी का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। जब धौनी जी अपने क्षेत्र सालम लौटे तो जनता ने अपूर्व उत्साह से इनका स्वागत किया। अपने क्षेत्र के पहले ग्रेज्युएट को ढोल-नगाड़ों के साथ अल्मोड़ा से गांव तक पालकी पर ले गए। होमरूल लीग का सदस्य बनकर स्वतंत्रता आन्दोलन से सीधे जुड़ गए। 1920 में राजस्थान चले गए। वहाँ सूरतगढ़ स्कूल में अध्यापक हो गए। वहाँ से फतेहपुर गए और वहां प्रधानाध्यापक बन गए। 1921 में फतेहपुर मे कांग्रेस कमेटी का गठन किया और आजादी का बिगुल बजा दिया। वहीं धौनी जी ने एक साप्ताहिक पत्र 'बन्धु' का प्रकाशन करवाया। कुछ समय उपरान्त आप नेपाल की रियासत बजरंग चले गए। वहां धौनी जी ने राजकुमारों को शिक्षा दी। तत्पश्चात आप अल्मोड़ा लौट आए। 1923 से 1927 तक अल्मोड़ा डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सदस्य रहे। एक वर्ष तक (1925-26) 'शक्ति' साप्ताहिक का सम्पादन किया। यहां से आप बम्बई चले गए, जहां आपने 'हिमालय पर्वतीय संघ' की स्थापना की। स्वाधीनता संग्राम के दिनों यद्यपि धौनी जी कभी जेल नहीं गए, तथापि समाज को स्वाधीनता प्राप्ति के लिए जागृत करने और सामाजिक उन्नयन में इनकी उल्लेखनीय भागीदारी स्मरणीय है।
स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह धौनी की मृत्यु के बाद 1935 में सालम (जैंती) में राम सिंह धौनी आश्रम की स्थापना की थी जो की स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख केंद्र भी रहा। महान स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह धौनी जी की याद में बना ये आश्रम संरक्षण के आभाव से बदहाल हो चूका है।
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