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नईमा खान उप्रेती | |
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जन्म | मई 25, 1938 |
जन्म स्थान | कारखाना बाजार, अल्मोड़ा |
शिक्षा | बी.ए आर्ट्स |
पिता | मो. शब्बीर खान |
पति | श्री मोहन उप्रेती |
व्यवसाय | नाट्य कलाकार, गायक |
मृत्यु | जून 15, 2018 |
नईमा खान उप्रेती उत्तराखण्ड की रंगमच की पहली सक्रिय महिला हैं। नईमा खान का जन्म अल्मोड़ा में सन् 25 मई 1938 को हुआ अल्मोड़ा से ही उन्होनें प्रारम्भिक शिक्षा (एडम्स गर्ल्स) से तथा (स्नातक की उपाधि भी अल्मोड़ा से ही ग्रहण की) संगीत में बाल्यकाल से ही रूचि होने के कारण अल्मोड़ा में सांस्कृतिक हलचल प्रारम्भ होते ही वे लोक कलाकार संघ, अल्मोड़ा की सक्रिय सदस्य रही। रंगकर्मी मोहन उप्रेती की पत्नी नईमा खान ने कुमाऊं - गढ़वाल, दिल्ली, लखनऊ में अपने पति के साथ अनेक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ दी।
1973 में दूरदर्शन में आई तथा 1996 में प्रोडूयूसर के पद से अवकाश ग्रहण किया। इसके साथ ही वे आकाशवाणी से भी जुड़ी रही। तथा आकाशवाणी दिल्ली से गढ़वाली, कुमाऊंनी और ब्रजभाषा के कार्यक्रमों का प्रसारण किया। "पारा भीड़ा को छै भागी" गीत आज भी उतना ही कर्णप्रिय लगता है। 1969 से वे "पर्ववीय कला केन्द्र" की सक्रिय सदस्य रही। उनकी उपलब्धियाँ विदेशों में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी है।
नईमा ने 1995 में लोक कलाकार संघ की सदस्यता ग्रहणय की नईमा द्वारा सदस्यता ग्रहण करने के उपरान्त अनेक महिला तथा पुरूष कलाकार संघ से जुड़े। तथा लोकनृत्यों, गीतों, सामूहिक गीतों आदि का प्रर्दशन किया जाने लगा। नईमा के साथ अन्य महिला कलाकारों जिसमें उप्रेती जी की छोटी बहन हेमा उप्रेती जोशी तथा कभी गीत जोशी सामूहिक गीत प्रस्तुत करते थे। उप्रेती जी के द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों में नईमा खान साथ थी। "इप्टा" तथा "भारतीय नाट्य संघ" के कुछ कार्यक्रमों में भी नईमा सम्मिलित हुई थी।
15 जून 2018 को नईमा खान उप्रेती ने दिल्ली में अंतिम साँस ली। उन्होंने मृतु से पूर्व अपना शरीर मडिकल कॉलेज को दान दे दिया था।
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