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    कस्तूरी मृग ( Musk deer ) : उत्तराखण्ड का राज्य पशु

    festival 1


    वैज्ञानिक नाम: मास्कस कइसोगास्टर


    राज्य पशु: उत्तराखण्ड



    दो से पांच हजार मीटर की ऊँचाई में पाये जाने वाले हिमालयन मृग अपनी सुन्दरता के साथ साथ अपनी नाभि में पाये जाने वाले कस्तूरी के लिए प्रसिद्ध है। यह कस्तूरी नर मृग में पायी जाती है। कस्तूरी एक तरह का गाढ़ा तरल पदार्थ व मनमोहक खूश्बूदार पदार्थ होता हैं |( Musk deer )


    कस्तूरी मृग के आरक्षण के लिए पिथौरागढ़ के अस्कोट में अस्कोट वन्य जीव अभयारण 1986 में बनाया गया है। इसके अलावा चीता, बाघ, बार्किंग डियर को भी इस अभयारण में जगह दी गई है। यह अभयारण क्षेत्र लगभग 600 वर्ग किमी0 के क्षेत्र में विस्तृत है।


    इसके अतिरिक्त कंचुला कोरक ( खर्क ) मस्क हिरण अभयारण ( 1982 ) जो कि चोपता - गोपेश्वर मार्ग पर स्थित है, वहां पर भी कस्तूरी मृग और अन्य हिमालयी वन्य जीवों का आरक्षण ( प्रजनन व संरक्षण ) केन्द्र है।1972 में केदारनाथ वन्य जीव विहार के अन्तर्गत कस्तूरी विहार की स्थापना भी की गई। महरूड़ी कस्तूरी मृग अनुसंधान की स्थापना 1977 में की गई।(kasturi mrig)



    कस्तूरी मृग के बारे में अन्य जानकारी -


    कस्तूरी मृग भारत, तिब्बत, नेपाल, भूटान, चीन आदि देशों के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है।

    ये बड़े चैकन्ने तथा एकांतवासी जीव होते हैं। 15 से 20 मीटर तक लम्बी छलांग लगाने में सक्षम होते हैं। इस मृग में सींग नहीं होती और इनका रंग भूरा होता है जिसपर रंगीन धब्बे होते हैं।

    एक नर मृग में 30 से 50 ग्राम तक कस्तूरी पाई जाती है। कस्तूरी का उपयोग दमा, निमोनिया, मिर्गी जैसी बिमारियों की दवाइयां बनाने में उपयोग की जाती है। कस्तूरी का इत्र भी बनाया जाता
    है।

    इसकी एक खासियत यह भी है कि प्रचण्ड ठण्ड में भी यह जीव अपना निवास स्थान नहीं छोड़ता। इनकी याददाश्त शक्ति काफी मजबूत मानी जाती है।

    कस्तूरी मृग की औसतन आयु लगभग 20 वर्ष होती है।


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