देवकीनंदन पाण्डे | |
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जन्म | 15 फरवरी, 1920 |
जन्म स्थान | कानपूर |
पिता | श्री शिवदत्त पाण्डे |
पेशा | रेडियो उद्घोषक, रंगकर्मी |
मूल निवासी | ग्राम पाटिया, अल्मोड़ा |
मृत्यु | 2001 |
चार दशकों तक आल इण्डिया रेडियो/आकाशवाणी में उद्घोषक के रूप में अपनी निराली छवि के लिए लोकप्रिय एवं प्रसिद्धि प्राप्त कलाकार। रंगकर्मी और अभिनेता। 1942 से 1947 तक उ.प्र. सरकार की सेवा में रहे। इसी बीच आकाशवाणी लखनऊ में उद्घोषक एवं नाटक कलाकार के रूप में कार्य करते रहे। 1947 से 1983 तक आकाशवाणी के दिल्ली केन्द्र में उद्घोषक रहे।
देवकी नंदन पाण्डे का जन्म कानपूर मे हुआ। उनके पिता श्री शिवदत्त पाण्डे पेशे से डॉक्टर थे। शिवदत्त पाण्डे जी के चार लड़के थे जिनमे से देवकी नंदन सबसे बड़े थे। देवकी नंदन पाण्डे जी के जन्म के चार साल बाद वो रिटायर हो गए और अल्मोड़ा आ गए। देवकी नंदन पाण्डे जी की प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा से हुई। बचपन से ही इन्हें नाटक, उपन्यास, कहानियां, जीवन चरित्र और इतिहास आकर्षित करता था। इनके पिता की साहित्य में रूचि के कारण घर में पुस्तकों का अच्छा खासा संकलन था जिससे देवकी नंदन जी की भी पठन-पाठन में रुचि होने लगी। Devkinandan Pandey
आज समाचार और सूचनाओं के अनेकों माध्यम है 40 के दशक में रेडियो एकमात्र माध्यम था जिससे पुरे विश्व में घट रही घटनाओं की सुचना लोगों तक पहुंचती थी। उस समय अल्मोड़ा में दो लोगों के पास रेडियो हुआ करता था एक देवकी नंदन के स्कूल के अध्यापक के घर और दूसरा नगर के एक व्यपारी के घर। देवकी नंदन जी सारे काम छोड़ कर दुसरे महायुद्ध के समाचार सुनने जाया करते थे। उन दिनों जर्मनी रेडियो के दो लाजवाब प्रसारणकर्ता हुआ करते थे लार्ड हो हो और डॉ. फारुकी। इनकी आवाज देवकी नंदन के दिलों-दिमाग में घर कर गयी। 1941 में आगे की पढाई के लिए वे इलाहाबाद आ गये और यहाँ से बी.ए. की पढाई पूरी करी। कॉलेज के दिनों में उनके अंग्रेजी के अध्यापक विशंभर दत्त भट्ट ने देवी नंदन को रंगमंच के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अल्मोड़ा में दर्जन नाटकों में हिस्सा लिया।
पिता की मृत्यु के बाद भाइयों की जिम्मेदारी उन पर आ गयी। उन्होंने लखनऊ में सबसे पहले ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में नौकरी की और 1943 में आकाशवाणी लखनऊ में कैजुअल एनाउंसर और ड्रामा आर्टिस्ट के रूप में कार्य करने लगे। यहाँ से उन्होंने उर्दू भाषा और उच्चारण की बारीकियां सीखने को मिली। 1948 में दिल्ली में आकाशवाणी की हिंदी समाचार सेवा शुरू हुई और इसके साथ अच्छी आवाज की खोज शुरू हुई। 3000 उम्मीदवारों में देवकी नंदन पाण्डे की आवाज को सर्वश्रेष्ट आवाज चुना गया। 21 मार्च 1948 में उन्होंने अपना पहले समाचार पढ़ा। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ का नहीं देखा।
देवकी नंदन पाण्डे समाचार पढ़ने के अंदाज, उच्चारण की शुद्धता और घटनाक्रम से अपने आपको एकाकार कर लेते थे और यही वजह थी कि उनकी आवाज को देश की आवाज कहा जाता था। पौने नौ बजे का बुलेटिन शुरु होता था एक ही आवाज सुनाई देती थी - “ये आकाशवाणी है। अब आप देवकी नंदन पाण्डे से समाचार सुनिए”। सरदार वल्लभ भाई पटेल, लियाकत अली खान, मोलाना आजाद, गोविन्द बल्लभ पन्त, पंडित जवाहरलाल नेहरू और जयप्रकाश नारायण के निधन का समाचार देवकी नंदन पाण्डे की आवाज में पुरे देश में पहुंचा। उनके सेवानिवृत्त हो जाने के बाद भी उन्हें बड़े अवसरों में समाचार पढ़ने बुलाया जाता था। संजय गांधी के आकस्मिक निधन का समाचार पढ़ने के लिए उन्हें दिल्ली आकाशवाणी पर बुलाया गया था। Devki Nandan Pandey Wikipedia
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