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    पाषाणभेद (शिलफड़)

    bergenia-shilafoda

    पाषाणभेद (शिलफड़)

    संस्कृत नामपाषाणभेद
    हिन्दी नामपाषाण भेद
    अन्य नामपाखानभेद, सिलपाड़ो
    लैटिन नामBergenia Ligulata
    कुलपाषाणभेदादिवर्ग (Saxifragaceae)
    पुष्पकालअप्रैल-मई
    प्रयोज्य अंगमूल पत्र

    bergenia-shilafoda-flower

    यह हिमालय में मिलने वाल क्षुप है पत्र 3 से 4 इंच तक चौड़े मसृण होते हैं। पुष्प पुष्पकाण्ड पर गुच्छों के रूप में खिलते हैं। खिलने पर ये पुष्प गुलाबी, श्वेत, वर्ण के होते हैं। मूल आधा इंच मोटा बाहर से काला और तोड़ने पर धूसर वर्ण का होता है। इसकी अन्य जातियां भी इस घाटी में उपलब्ध हैं। जिसे उत्तराखंड के लोग शिलफोड़ा, शिलफड़, सिलपाड़ा, सिलपाडो कहते हैं।


    स्थानिक प्रयोग


    bergenia-shilafoda-root

    ⚬ इसके मूल का क्वाथ का यहाँ के ग्रामीण वैद्य मूत्रकृच्छ्र में प्रयोग करते हैं।
    ⚬ रक्त प्रदर में यहाँ के लोग पाषाणभेद, ल्यचकुरा (मंजीठ) के मूल को समभाग में ले कर चूर्ण बना कर मिश्री के साथ प्रयोग करते है।
    ⚬ सुजाक आदि विकारों में मल चूर्ण को नीलकंठी के पत्र स्वरस के साथ देने से लाभ होता है।
    ⚬ भोटिया लोग इसकी परानी पत्तियों को सुखा कर भोटिया चाय के नाम से प्रयोग करते हैं।


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