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डाॅ. प्रकाश पन्त | |
जन्म: | नवम्बर 11, 1960 |
जन्म स्थान: | लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश |
पिता: | श्री मोहन चन्द्र पन्त |
माता: | श्रीमती कमला पन्त |
पत्नी: | श्रीमती चंद्रा पन्त |
बच्चे: | 3 |
व्यवसाय: | राजनीतिज्ञ, लेखक |
शिक्षा: | फार्मेसी में सनातक |
राजनीतिक दल: | भारतीय जनता पार्टी |
मृत्यु: | जून 05, 2019 |
प्रकाश पंत का जन्म 11 नवंबर 1960 को लखीमपुर खीरी में हुआ था। मूल रूप से गंगोलीहाट के चोढियार गावं के तालुक रखने वाले पन्त जी कभी पिथौरागढ़ जिला चिकित्सालय में फार्मसिस्ट रहे। श्री प्रकाश पन्त सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर राजनीति में उतरे और जनवरी, 1998 में कुमाऊँ स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से उ.प्र. वि. सभा के लिए निर्वाचित हुए। 1980 में इन्होंने राजकीय पालीटेक्निक अल्मोड़ा से फार्मेसिस्ट का डिप्लोमा लिया और सरकारी सेवा में आ गए। नौकरी में वे मात्र 4 वर्ष रहे। राम जन्म भूमि आन्दोलन में जेल भी गए। स्वयं सेवी संस्था 'मित्र' के वे संस्थापक हैं। सन 2000 में वह उत्तरांचल की अंतरिम वि.सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 2017 गंगोलीहाट से विधानसभा सदस्य रहे।
परिवार
प्रकाश पंत जी के पिता श्री मोहन चन्द्र पन्त जी एसएसबी में सर्किल आर्गनाइजर थे। इनकी माता का नाम श्रीमती कमला पन्त है और इनका विवाह 26 मई 1989 को पिथौरागढ़ के पांडेगांव निवासी स्वर्गीय चंद्र बल्लभ पांडे की पुत्री शिक्षिका श्रीमती चंद्रा पन्त से हुआ। इनके तीन बच्चे नमिता, सुचिता और सौरभ हैं। बेटी नमिता सैन्य अधिकारी हैं। बेटा सौरभ और बेटी सुचिता पढ़ाई कर रहे हैं। पांच भाई बहनों में पंत तीसरे नंबर के थे। स्वर्गीय पंत के बड़े भाई कैलाश पंत इंजीनियर और छोटे भाई भूपेश पंत जिला मुख्यालय में केमिष्ट की दुकान चलाते हैं। दीदी मंजू और छोटी बहन तारा हैं। दोनों विवाहित हैं। पंत का परिवार पिथौरागढ़ के घंटाकरण में रहता है।
शिक्षा
पंत जी की शिक्षा-दीक्षा पिथौरागढ़ में हुई।उन्होंने पिथौरागढ़ के मिशन इंटर कॉलेज से वर्ष 1975 में हाईस्कूल और वर्ष 1977 में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1977 में ही राजकीय महाविद्यालय में बीए में पढ़ाई के दौरान सैन्य विज्ञान परिषद में महासचिव रहे। वर्ष 1980 में द्वाराहाट के राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज से फार्मेसी में डिप्लोमा किया।
राजनीतिक जीवन
प्रकाश पन्त जी के राजनीतिक जीवन की शुरुवात 1984 में हुई जब इन्होने सरकारी पद त्याग कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। शुरुआत में कुछ समय कम्युनिस्ट पार्टी में भी रहे। वर्ष 1985 में भाजपा के जिला महामंत्री का दायित्व संभाला। 1988 में वह नगर पालिका परिषद पिथौरागढ़ के सदस्य निर्वाचित हुए। 1998 में विधानसभा उत्तर प्रदेश के सदस्य निर्वाचित हुए। 2001 में उत्तराखंड (तब उत्तराँचल) के प्रथम विधानसभा अध्यक्ष चुने गए। 2002 में पिथौरागढ़ से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। 2007 द्वितीय निर्वाचित सरकार में कैबिनेट मंत्री (संसदीय मामले) रहे। 2017 चतुर्थ निर्वाचित सरकार में कैबिनेट मंत्री (वित्त, संसदीय मामलों, पेयजल और वाणिज्य विभाग) रहे।
मृत्यु
सदन में बजट अभिभाषण पेश करने के दौरान उनके पांव लड़खड़ा गए। उन्हें भाषण बीच में छोड़ना पड़ा। मेडिकल जाँच में सामने आया कि उन्हें फेफड़े का कैंसर है। इसके बाद दिल्ली से उनका इलाज चला, हालत में सुधार न होने से उन्हें मई में अमेरिका ले जाना पड़ा। जहा उन्होंने जून 5, 2019 को अंतिम सांस ली। आज की तीखी और हल्ला बोल राजनीति में प्रकाश पंत हमेशा एक विनम्र उपस्थिति की तरह रहे। बिना किसी शोर के, अंडरटोन में और शालीनता से काम को अंजाम देने का यही गुण था जिसने प्रकाश पंत को राज्य गठन के तुरंत बाद विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाया। नवगठित राज्य में इस जिम्मेदारी का निर्वहन प्रकाश पंत ने बखूबी किया। इसके बाद पंत की पहचान एक विनम्र, शालीन और तर्को से लैस संसदीय कार्यमंत्री के रूप में बनी। शोरगुल वाली आज की राजनीति में एक संगीत की तरह अपनी उपस्थिति को बनाकर रखने वाले प्रकाश पंत का जाना आरोह में जैसे एक सुर का हिचकी के साथ टूट जाना है।
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