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निर्मल पांडेय | |
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जन्म | अगस्त 10, 1962 |
जन्म स्थान | मल्लीताल, नैनीताल |
पिता | श्री हरीश चन्द्र पाण्डे |
माता | श्रीमती रेवा पाण्डे |
पत्नी | श्रीमती कौसर रजा (1997-2000), श्रीमती अर्चना शर्मा |
बच्चे | दो बच्चे |
व्यवसाय | अभिनेता |
मृत्यु | फरवरी 18, 2010 |
भारतीय सिनेमा में अभिनय के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित करने वाला उत्तराखण्ड का अकेला प्रतिभावान युवा। 'दायरा' फिल्म में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए फ्रांस में आयोजित फिल्म समारोह में पुरस्कार पाने वाला पहला भारतीय कलाकार। निर्मल पांडेय एक ऐसा नाम है जो कम समय में अपने पीछे ज्यादा दिन तक जीवित रहने वाली निशानी छोड़ गये। निर्मल पांडेय उर्फ नानू उर्फ परुवा डान आज इस दुनिया इस में नही है, पर एक अच्छे अभिनेता के तौर पर वो हमेशा याद किये जाते रहेंगे।
प्रारम्भिक जीवन
उनकी पारम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा और नैनीताल में हुई। वो स्कूल के दिनों से नाटक में भाग लिया करते थे। स्कूल खत्म होते-होते वो तय कर चुके थे कि उनको अपना करियर अभिनय में ही नजर आता है। बी.काम., एम.ए. शिक्षा प्राप्त निर्मल पाण्डे ने 'नेशनल स्कूल आफ ड्रामा' से अभिनय का प्रशिक्षण प्राप्त किया। अभिनय का उच्च प्रशिक्षण प्राप्त कर एक बार पाण्डे इंग्लैण्ड गए। सी.आर.एस.टी. में पढ़ाई के दौरान उन्होंने नाटकों और रामलीलाओं में अभिनय करना शुरू किया। अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने भीमताल के ब्लाक आफिस में क्लर्क की नौकरी भी की। लेकिन रंगमंच में ओर झुकाव होने के कारण सरकारी नौकरी त्याग दी।
करियर
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली से अपने तीन साल के सफर को तय करके अपने अभिनय की दुनिया में पैर जमाने के लिये निर्मल पांडेय जी लन्दन के तारा नामक थ्रियेटर ग्रुप में शामिल हो गये। और उन्होंने इस रंगमंच में कई सफल नाटक जैसे हीर रांझा और एन्टीगोन किये। उन्होंने लगभग 125 नाटक में अभिनय किया। ये सफर उनकी जिंदगी का बेहतरीन सफर था। उन्होंने अपने इस कार्य में बहुत प्रंशसा बटोरी। इंग्लैंड में सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक शेखर कपूर ने इनकी अभिनय कला को देखा और परखा। कपूर साहब इनसे इतने प्रभावित हुए कि वहीं उन्होंने पाण्डे को अपनी निर्माणाधीन फिल्म "बैंडिट क्वीन" के लिए अनुबंधित कर दिया। यह फिल्म दस्यू सुंदरी फूलन देवी के जीवन पर आधारित है। फिल्म में निर्मल पाण्डे ने फूलन के प्रेमी विक्रम मल्लाह की भूमिका अभिनीत की। विवादों और सेंसर बोर्ड की कैंची से गुजरते यह फिल्म अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित कर गई। निर्मल पाण्डे इस फिल्म से अन्तर्राष्ट्रीय सिने कलाकार स्थापित हो गए। अब फिर क्या था— पाण्डे ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन्हें धड़ाधड़ फिल्में मिलती चली गई। भाग्य ने साथ दिया और इनकी हर फिल्म 'हिट' होती चली गई। उल्लेखनीय भूमिका वाली इनकी अब तक प्रदर्शित फिल्में हैं- बैंडिट क्वीन, शिकारी, ट्रेन टु पाकिस्तान, औजार, इस रात की सुबह नहीं, दायरा, हम तुम पे मरते हैं, प्यार किया तो डरना क्या, जहां तुम ले चलो। 'दायरा' फिल्म में अभिनय के लिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ नायिका का तमगा दिया गया। यह सम्मान इन्हें फ्रांस में आयोजित एडवेंचर डि वलेन्सीन्नीज फिल्म समारोह में एक ऐसे पुरुष के अभिनय के लिए दिया गया है जो महिला के परिधान में रहता है और उसके रहन-सहन के लक्षण स्त्रीगत स्वभाव के हैं। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले निर्मल पाण्डे पहले भारतीय हैं
अप्रैल 1997 में निर्मल पाण्डे लखनऊ निवासी कौसर रजा से परिणय सूत्र में बंधे। कौसर रजा से इनकी एक बेटी है। शादी के बाद कौसर रजा कौसर पाण्डे हो गई। सितम्बर 1999 में निर्मल का एक आडियो कैसेट जज्बा और वीडियो कैसेट 'मार डाला' रिलीज हुए। आडियो कैसेट के गाने इनकी सह-धर्मिणी कौसर पाण्डे ने लिखे हैं और वीडियो कैसेट का निर्देशन प्रदीप सरकार ने किया था। 2005 में निर्मल पांडे की शादी अर्चना शर्मा से हुई थी। अर्चना शर्मा से इनके दो बच्चे हैं।
बैंडिट क्वीन की सफलता के बाद निर्मल पांडेय जी बहुत आगे बढ़े। 1996 में ही अमोल पालेकर के निर्देशन बनी फिल्म दायरा आयी जिसमे फिर निर्मल पांडेय पर्दे पर नजर आये। इस फ़िल्म में उनके बेहतरीन अभिनय के कारण उनको फ्रांस फ़िल्म महोत्सव में पुरस्कार मिला। 1998 में उनकी फ़िल्म ट्रेन टू पाकिस्तान आयी और इसके बाद 1999 फिर एक हिट फिल्म हम तुमपे मरते हैं आयी।
इन्होंने हिंदी भाषा के साथ और कई भाषाओ की फिल्मों में काम किया। अपने काबिलियत और जुनून के बल पर निर्मल जी बिना किसी के सहारे फिल्मी दुनिया मे बने रहे। लेकिन उनको बॉलीवुड से वो मुक़ाम नही मिला जितना के वो हक़दार थे। लेकिन फिर भी वो अपने काम से खुश थे।
फिल्मी दौर
उनकी मुटठी भर फिल्मे उनको कई सालों तक जिंदा रखेंगी।
लाहौर (2010) – अनवर शेख
⚬ केडी (तेलगु फ़िल्म) (2010)
⚬ देशद्रोही (2008)
⚬ राजकुमार आर्यन
⚬ डकैत (2006)
⚬ लैला (2005)
⚬ हातिम टीवी सीरीज (2003)
⚬ आँच (2003)
⚬ दीवानगी (2002)
⚬ वन टू का फोर (2001)
⚬ शिकारी (2000)
⚬ दुबई (2000)
⚬ हद कर दी आप ने (2000)
⚬ हम तुम पे मरते हैं (1999)
⚬ गॉडमदर (1999)
⚬ जहाँ तुम ले चलो (1999)
⚬ प्यार किया तो डरना क्या (1998)
⚬ ट्रेन टू पाकिस्तान (1998)
⚬ औजार (1997)
⚬ दायरा (1996)
⚬ इस रात की सुबह नही (1996)
⚬ बैंडिट क्वीन (1996)
पुरस्कार
निर्मल पांडेय जी को दायरा फ़िल्म के लिये फ्रांस फ़िल्म महोत्सव में बेस्ट एक्टर के पुरस्कार से सम्मानित किये गये। टी०वी० शोज के दौर में गब्बर मिक्स के लिये उन्हें चैनल वी ने भी सम्मानित किया।
मृत्यु
इनका जीवनकाल बहुत लम्बा नही रहा। 47 वर्ष की उम्र में इन्होंने दुनियां को अलविदा कहकर चले गये। इनकी मृत्यु 18 फरवरी सन 2010 में हार्ट अटैक से मुम्बई में हुई।
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