नित्यानंद स्वामी | |
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जन्म | 27 दिसम्बर, 1927 |
जन्म स्थान | नारनौल, हरियाणा |
पिता | स्व. श्री बिहारी लाल स्वामी |
पत्नी | श्रीमती चन्द्रकान्ता स्वामी |
बच्चे | 4 पुत्री |
मृत्यु | 12 दिसम्बर, 2012 |
नित्यानंद स्वामी का जन्म 27 दिसम्बर, 1927 को तत्कालीन नारनौल, पंजाब प्रांत (ब्रिटिश भारत) में हुआ, वर्तमान में नारनौल हरियाणा में स्थित है। उनके पिता श्री बिहारी लाल स्वामी भारतीय वानिकी संस्थान, देहरादून में कार्यरत थे। सेवानिर्विती के बाद वे देहरादून बस गए थे, स्वामी जी ने लगभग सारा जीवन देहरादून में बिताया। नित्यानंत स्वामी जी की शिक्षा-दीक्षा देहरादून में ही हुई। देहरादून डी.ए.वी (दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज) काॅलेज से उन्होंने एम.ए., एल.एल.बी. की उपाधि ग्रहण की। 1950-51 में काॅलेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे।
व्यक्तिगत जीवन
उनका विवाह चन्द्रकान्ता स्वामी से हुआ था और उनकी चार बेटियां हैं।
राजनीतिक जीवन
नित्यानंद स्वामी कम उम्र में स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए थे और उन्होंने देहरादून में स्थानीय संग्राम में भाग लिया। नित्यानंद स्वामी पेशे से वकील थे। साथ ही उन्होने जनसंघ से जुड़कर अपना राजनीति का सफर शुरू किया। 1950 और 1960 के दशक में वे भारतीय जनसंघ के कार्यकर्ता और विभिन्न ट्रेड यूनियनों के अध्यक्ष थे। 'जनसंघ' के टिकट पर आपने पहली बार 1957 में देहरादून नगर से चुनाव लड़ा, किन्तु कांग्रेस के मुकाबले हार गए। 1962 के चुनाव में भी यही स्थिति रही। 1969 के चुनाव में देहरादून से जनसंघ के टिकट पर उ.प्र. विधान सभा में पहुंचे। पहले वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व उसके बाद भारतीय जनता पार्टी से जुड़े। वर्ष 1984 गढ़वाल-कुमाऊँ स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधान परिषद के सदस्य रहे। 13 अगस्त, 1991 को परिषद के उप-सभापति चुने गए। 6 जुलाई, 1992 को कार्यवाहक सभापति बने और 23 मई, 1996 को मनोनीत सभापति की शपथ ग्रहण की। 25 अप्रैल 1997 को सदन के निर्वाचित सभापति घोषित किए गए थे। स्वामी जी का राजनैतिक जीवन अपेक्षाकृत पारदर्शी और अविवादित था।
उत्तराखंड के प्रथम मुख्यमंत्री
साल 2000 में वे उत्तराखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री चुने गये। स्वामी के नाम का प्रस्ताव भगत सिंह कोशियारी ने किया था, जो खुद मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे और पहाड़ी राज्य के सभी 23 भाजपा विधायकों ने उनका समर्थन किया था। उनका कार्यकाल 9 नवम्बर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक रहा।
सम्मान
देहरादून क्षेत्र के लिए विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें दून सिटीजन काउंसिल, देहरादून से "प्राइड ऑफ द दून" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मृदुभाषी स्वामी को "राष्ट्रभाषा" हिंदी पर समर्पित सार्वजनिक कार्य के लिए 2000 में उत्तर प्रदेश रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1994 में हिंदी प्रचार समिति द्वारा साहित्य भारती से सम्मानित किया गया था।
मृत्यु
12 दिसंबर 2012 को संयुक्त चिकित्सा संस्थान (सी.एम.आई), देहरादून में 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
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