मृणाल पाण्डे | |
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जन्म | फरवरी 26, 1946 |
जन्म स्थान | ग्राम- टीकमगढ़, म.प्र. |
पिता | श्री शुख देव पंत |
माता | श्रीमती गौरा पंत 'शिवानी' |
शिक्षा | अंग्रेजी साहित्य में स्नातक |
व्यवसाय | लेखक, पत्रकार |
भाषा | अंग्रेजी, हिंदी |
मृणाल पाण्डे (26 फरवरी, 1946): जन्मः टीकमगढ़, म.प्र. में। पैतृक निवासः कसून, अल्मोड़ा। लेखक, सम्पादक, पत्रकार, कलाविद, मूर्ति शिल्पी, आगरा और ग्वालियर घरानों के हिन्दुस्तानी संगीत की संगीतज्ञ और दूरदर्शन की जानी-मानी हस्ताक्षर।
इलाहाबाद वि.वि. से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की उपाधि ग्रहण की। प्रयाग, भोपाल और दिल्ली वि.वि. में अध्यापन किया। हिन्दुस्तानी संगीत की भी शिक्षा ग्रहण की। वाशिंगटन डी.सी. स्थित कोरकोरन स्कूल से मूर्ति शिल्प, कला और डिजायनिंग में प्रशिक्षण प्राप्त किया। अध्यापन के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में उतरीं। 'टाइम्स आफ इण्डिया' प्रकाशन समूह की प्रसिद्ध पत्रिका 'वामा' का सम्पादन किया। इसके बाद 'हिन्दुस्तान' के सम्पादक मण्डल में रहीं। पहली कहानी 1967 में 'धर्मयुग' में प्रकाशित हुई। मृणाल जी अंग्रेजी में साधिकार लिखती हैं। 'इण्डियन थियेटर टुडे' इनकी इस सन्दर्भ में महत्वपूर्ण कृति है। आजादी के बाद बदले भारतीय परिवेश को इन्होंने अपनी कहानियों, उपन्यासों और नाटकों में रेखांकित किया है और परिवर्तन की इस प्रक्रिया को कुमाउँनी जनजीवन के माध्यम से प्रस्तुत किया है।
मृणाल पाण्डे स्टार टी.वी. और दूरदर्शन के लिए काम किया है। समाज सेवा में उनकी गहरी रूचि रही है। वो कुछ वर्षों तक 'सेल्फ इम्प्लायड वूमेन कमीशन' की सदस्या रही हैं। अप्रैल 2008 में इन्हें पीटीआई (PTI) की बोर्ड सदस्य बनाया गया।
मृणाल जी हिन्दी की ध्रुव कथाकार 'शिवानी' जी की सुपुत्री, पद्विभूषण, पूर्व राज्यपाल श्री भैरवदत्त पाण्डे जी की पुत्रवधू और स्टील आथरिटी आफ इण्डिया के अध्यक्ष रहे श्री अरविन्द पाण्डे जी की सह-धर्मिणी हैं।
मृणाल पाण्डे जी की प्रमुख रचनायें हैं।
कहानियाँ
यानी कि एक बात थी
बचुली चौकीदारिन की कढ़ी
एक स्त्री का विदागीत
चार दिन की जवानी तेरी
उपन्यास
विरुद्ध
अपनी गवाही
हमका दियो परदेस
रास्तों पर भटकते हुए
पटरंगपुर पुराण
देवी
सहेला रे (06 अक्टूबर 2018 को प्रकाशित)
आलोचना
ओ उब्बीरी
बंद गलियों के विरुद्ध
स्त्री : लम्बा सफर
स्त्री : देह की राजनीति से देह की राजनीति तक
ध्वनियों के आलोक में स्त्री
आलेख
जहाँ औरतें गढ़ी जाती है
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