गोपेश्वर कोठियाल- आचार्य | |
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जन्म | फरवरी 1, 1899 |
जन्म स्थान | ग्राम- उदखण्डा, पट्टी कुजणी, टिहरी |
पिता | श्री छोटे लाल कोठियाल |
शिक्षा | आचार्य |
व्यवसाय | संपादक, समाज सेवा |
मृत्यु | मार्च 19, 1999 |
गोपेश्वर कोठियाल- आचार्य (1899–1999): गाँव उदखण्डा, पट्टी कुजणी, टिहरी गढ़वाल। उत्तराखण्ड में पत्रकारिता के अग्रणी नायक, निष्पक्ष और सिद्धान्तों पर आधारित पत्रकारिता की नींव रखने वाले स्वाधीनता प्राप्ति के प्रारम्भिक युग के पत्रकार।
गआचार्य कोठियाल को तत्कालीन सामंती युग में शिक्षा की ललक के चलते प्रारंभिक शिक्षा के लिए घर-गांव से दूर हरिद्वार जाना पड़ा। वहां से उच्च शिक्षा के लिए बनारस गए और काशी विद्यापीठ में प्रवेश लिया। काशी विद्यापीठ उन दिनों राष्ट्रीय विचारों के प्रसार का प्रमुख केंद्र था। यहां रहते श्री कोठियाल डा. सम्पूर्णानन्द और आचार्य राम चंद्र शुक्ल के संपर्क में आए। इन प्रखर राष्ट्रवादी पत्रकारों के साथ रहकर इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के संचालन में अपना सक्रिय योगदान दिया। उस समय 'आज' जैसे प्रमुख दैनिक में इनकी टिप्पणियां निरंतर छपती रहीं। इनकी इसी सक्रियता के चलते ब्रिटिश पुलिस इन्हें कई बार पकड़ कर ले गई। काशी विद्यापीठ से आचार्य की सर्वोच्च उपाधि प्राप्त करने के बाद इन्होंने टिहरी गढ़वाल की राह ली। उस समय टिहरी सामंती शासन की गुलामी में जकड़ा हुआ था। आचार्य कोठियाल ने यहां से एक साइक्लोस्टाइल अखबार निकाला।
ग1947 में देश तो आजाद हो गया लेकिन टिहरी रियासत गुलामी की जंजीरों में ही जकड़ी रही। इन जंजीरों को तोड़ने का संकल्प लेकर आचार्य कोठियाल ने प्रो. भगवती प्रसाद पांथरी व तेजराम भट्ट के साथ 'युगवाणी' साप्ताहिक अखबार का प्रकाशन शुरू किया। इस अखबार का प्रकाशन 15 अगस्त, 1947 को प्रारंभ हुआ। टिहरी के स्वाधीनता संग्राम में इस अखबार की अग्रणी भूमिका रही। श्री कोठियाल आजीवन कलम के निष्ठावान सिपाही बने रहे। इन्होंने एक ओर जहां गढ़वाल में विकास की आकांक्षा को मुखर वाणी दी, वहीं दूसरी ओर सामाजिक व राजनीतिक विडंबनाओं पर कड़े प्रहार भी किये। गढ़वाल की सभी महत्वपूर्ण सामाजिक गतिविधियों में 'युगवाणी' व आचार्य कोठियाल की अहम् भूमिका रही। चाहे नशाबंदी आंदोलन हो, चाहे विश्वविद्यालय के गठन का आंदोलन, इन सभी को आगे बढ़ाने में कोठियाल जी ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
टिहरी में शिक्षा तथा सहकारिता के प्रसार में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। अति पिछड़े हेवल घाटी क्षेत्र में इनके द्वारा स्थापित इंटर कालेज आज भी इनकी कर्मठता का बखान कर रहा है। आदर्श पत्रकारिता और क्षेत्र के विकास में अप्रतिम योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
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