भानु धमादा (जीवनकालः सत्रहवीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध) गढ़वाल के राजा मेदिनी शाह के राज्य काल की एक अनोखी घटना से है इनका सम्बन्ध हरिद्वार में कुम्भ मेले के अवसर पर जब सभी उपस्थित हिन्दू राजाओं ने गढ़वाल के राजा को 'हर की पौड़ी' में पहले स्नान करने से रोक दिया तो अप्रसन्न होकर राजा-"मेरी गंगा होली त मैं मं आली" कहते हुए अपना डेरा दूर चण्डीघाट ले गए। राजा की। आन-बान को बनाए रखने के लिए इन्होंने कुछ सैनिकों की सहायता से बहुत कम समय में गंगा की धारा को हर की पौड़ी से चण्डीघाट की ओर मोड़ने का अद्वितीय और ऐतिहासिक कार्य किया। गढ़वाल में एक पट्टी का नाम धमांदस्यूँ इन्हीं के नाम पर है। गढ़वाल में प्रचलित लोक विश्वास, कि राजा की दैवीय शक्ति से ही गंगा की जलधारा स्वतः चण्डीघाट की ओर मुड़ी, भानु धमादा का साहस, राजभक्ति और श्रम उसका खण्डन करता है।
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