इस वाद्य का प्रयोग वैवाहिक अवसरों पर किया जाता है। चमड़े के थैले पर पांच पाईप लगे होते हैं। एक पाईप से थैले के अन्दर हवा भर दी जाती है और दूसरे पाईप को बांसुरी के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। शेष तीन पाईप सहायक नाद उत्पन्न करते है। जो कि कांधे की ओर खडे होते हैं। भारतीय सेना में भी इसका प्रयोग होता है। यह वाद्य वर-यात्राओं में विशेष रूप से प्रयुक्त होता है।
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: फेसबुक पेज उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
हमारे YouTube Channel को Subscribe करें: Youtube Channel उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि