कमल साहित्यालंकार | |
---|---|
जन्म | 1909 |
जन्म स्थान | ग्राम- हल्ली, पट्टी तलाई (चौन्दकोट) गढ़वाल |
व्यवसाय | उत्तर प्रदेश जिला सूचना अधिकारी, लेखक |
भाषा | गढ़वाली, हिंदी |
मृत्यु | 1983 |
कमल साहित्यालंकार' (1909–1983): ग्राम हल्ली, पट्टी तलाई (चौन्दकोट) गढ़वाल। मूल नाम बलिराम कमल। कवि, नाटककार, उपन्यासकार, कहानीकार, चिन्तक और विचारक। एक शाश्वत साहित्यकार। साहित्य की विभिन्न विधाओं के 19 काव्य, 16 नाटक, 12 कहानी संग्रह, 7 उपन्यास और 10 अन्य ग्रन्थों की रचना की। गढ़वाली में लगभग 10 पुस्तकें लिखीं। पहली रचना 'चाँद' मासिक में 14 वर्ष की उम्र में प्रकाशित हुई। 1942 में 'संगिनी' और 'कान्तिदीप' काव्य संग्रह पर पंजाब शासन से पुरस्कार प्राप्त किया। आनन्द भवन के 'मोती-जवाहर' पुस्तक पांच राज्यों द्वारा पुरस्कृत हुई। श्री त्रिलोक पपनै ने कमल जी पर 'महाकवि कमल साहित्यालंकार' नाम से एक पुस्तक लिखी है। कमल जी की साहित्य साधना का समुचित मूल्यांकन न हो सका। श्री रमा प्रसाद घिल्डियाल 'पहाड़ी' जी के शब्दों में- "प्रसाद, निराला और नवीन परम्परा के इस कवि की पहचान किसी ने नहीं की।" क्वेटा (पाकिस्तान) और स्वतंत्र भारत में आप विभिन्न उच्च सरकारी पदों पर रहे। कुछ समय उ.प्र. सरकार की सेवा में जिला सूचना अधिकारी पद पर सेवारत रहे। लम्बे समय तक 'आकाशवाणी' से जुड़े रहे।
हमसे वाट्सएप के माध्यम से जुड़े, लिंक पे क्लिक करें: वाट्सएप उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
हमारे YouTube Channel को Subscribe करें: Youtube Channel उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि