दीवान सिंह कनवाल | |
जन्म: | फरवरी 5, 1961 |
जन्म स्थान: | ग्राम - खत्याड़ी (अल्मोड़ा) |
शिक्षा | ऍम. काम. |
पिता: | श्री टी. एस. कनवाल |
माता: | श्रीमती रेवती देवी |
पत्नी | - |
व्यवसाय: | लेखक, लोकगायक, गीतकार |
1983 में एम. कॉम. की परीक्षा उत्तीर्ण की। बी ग्रेड आकाशवाणी नजीबाबाद से किया। कनवाल जी ने बी हाई ग्रेड आकाशवाणी अल्मोड़ा से किया। इन्होने हुड़के में भी बी हाई ग्रेड किया हुआ है। स्वर्गीय जीवन बिष्ट जी ने इन्हे सर्वप्रथम फिल्म मेघा आ में गाना गाने का मौका दिया। यहीं से इनके गायकी का सफर शुरू हुआ। साथ ही साथ लेखन का कार्य भी करते रहे। इन्होने अधिकतर अपने लिखे गीतों को कम्पोज करके गाया है। आजकल अल्मोड़ा कॉपरेटिव बैंक में ब्रांच मैनेजर के पद में कार्यरत है।
बचपन से रामलीलाओं में अलग अलग किरदारों का मंचन करना शुरू किया। कनवाल जी ने अल्मोड़ा के हुक्का क्लब से रामलीला में किरदार निभाने शुरू किये। सबसे पहले मंदोदरी का रोल किया। धीरे धीरे बड़े किरदारों का रोल मिलने लगा। गायन के प्रति लगाव रामलीला से ही श्ुरू हुआ। थियेटर के प्रति भी झुकाव बढ़ता गया। 1984 में दिल्ली जाकर मोहन उप्रेती जी के थियेटर ग्रुप पृथ्वी लोक कला केन्द्र से जुड़ गये। साथ ही साथ रहन सहन का खर्चा निकालने के लिए वहां रसना बेचा करते थे। मोहन उप्रेती जी से ही इन्होने लोक नाटकों के मंचन की बारिकीयां सीखी। उनके साथ ही कुछ रोल भी किये। 7-8 साल दिल्ली रहने के बाद वे यहां वापस आ गये। इसके बाद यहां कई लोक नाटको का निर्देशन किया। कल बिष्ट, गंगनाथ, हरू हीत, सुरजू कुँवर जोत माला, अजुआ बफौल आदि नाटकों का निर्देशन कर चुके है।
कनवाल जी की थात बात, सुवा, पैलाग, हुड़ुकी घमा घम, नंदा चालीसा, जय मय्या बाराही, सुफल हई जय पंचनाम देव आदि गानों की एल्बम निकल चुकी है। इसके अलावा मेघा आ, बलि वेदना, ऐ गे बहार, जय हिंद, आपण बिराण, जय गोलू देव आदि कुमाउँनी फिल्मों में पार्श्व गायन किया हुआ है। कनवाल जी हिमालय लोक कला केन्द्र संस्थापक भी है।
हमसे वाट्सएप के माध्यम से जुड़े, लिंक पे क्लिक करें: वाट्सएप उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
हमारे YouTube Channel को Subscribe करें: Youtube Channel उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि