मेरी डांडी कांठ्यूं का मुलुक जैली
बसंत रितु मा जैई... बसंत रितु मा जैई...
हैरा बणुमा बुरुंसी का फूल, जब बणांग लगाणा होला
भीटा-पाखों थै फ्यूली का फूल, पिंगळा रंग मा रंग्याणा होला
लया - पंय्या ग्वीराळ फुलून, होलि धरती सजीं देखी ऐई।
बसंत रितु मा जैई…
बिनसरी देळयूंमा खिल्दा फूल, राति गौं गौं गितांगु का गीत
चौति का बोल औज्यूंका ढोल, मेरा रौन्तेला मुलुकैकि रीत
मस्त बिगरैला बैखूका ठुमका, बांदुका लसका देखि ऐई।
बसंत रितु मा जैई...
रंगिला फागुण हुळ्येरूकि टोल, डांडि-कांठ्यूं रंग्याणी होली
कैका रंगमा रंग्यूं होलू क्वी, क्वी मनी मनमा रंग्स्याणी होली
किरमिची केसरी रंगकि बार, प्रेमका रंगूमा भीजी ऐई।
बसंत रितु मा जैई...
सैणा दमला अर चैतै बयार, घस्यारी गूएतुना गुंजदी डांडी
खेल्यूंमा रंगमत ग्वेर छोरा, अट्टगदा गोर घमणांदि घांडी
उखि फुंडै होलु खत्यूं मेरु भि बचपन, उक्रि सकिली त उक्रीकि लैई।
बसंत रितु मा जैई ...
नरेंद्र सिंह नेगी