उत्तराखण्ड के खूबसूरत हिल स्टेशनों में से एक रानीखेत हमेशा से ही अंग्रेजों और पर्यटकों का मुख्य केन्द्र रहा है। लेकिन इस शहर के नाम पर एक बिमारी का नाम भी है जिसे रानीखेत रोग कहा जाता है।
क्या है ये रोग -
यह रोग एक विषाणुजन्य संक्रामक रोग है जो कुक्कुट पालन की सबसे गंभीर बिमरियों में से एक है । इस रोग का मुख्य विषाणु ‘‘पैरामाइक्सो‘‘ है। संक्रमण का उचिम समय पर नियंत्रण और उपचार नहीं होने से यह महामारी की तरह फैलता है। यह रोग एक दूसरे में दूषित वायु, उनके दूषित पदार्थ या मल मूत्र के स्पर्श से फैलता है। मुर्गियों के अलावा यह रोग बत्तख, टर्की, तीतर, कबूतर आदि में भी देखने को मिलता है।(ranikhet rog)
रोग का इतिहास -
बात 1926 के आस पास की है जब यह रोग सर्वप्रथम इंडोनेशिया के जावा में देखा गया था। उसके पश्चात 1927 में इंग्लैण्ड के न्यू कैसल में मुर्गियों और अन्य जंगली पक्षियों में पाया गया । तब इसे ‘‘न्यू कैसल रोग‘‘ Virulent Newcastle disease (VND) नाम दिया गया । परन्तु 1939 में जब भारत में इसे सबसे पहले रानीखेत शहर के मुर्गे मुर्गियों तथा अन्य कुछ पक्षियों में पाया गया तो अंग्रेजों द्वारा इसका नाम बदलकर रानीखेत रोग रख दिया गया। हालांकि कुछ समय से स्थानीय प्रतिनिधियों व लोगों द्वारा रानीखेत के नाम पर यह रोग हटाने की मुहिम शुरू की गई है।(Newcastle-disease)
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