गढ़ छोड़ि दे लंका रावन ।। 2 ।।
लंका जैसो कोट हमारो, समुंदर जैसी खाई, तापर सेतु बधावन की, गढ़ ........ ।।
शक्तिबाण लगो लछिमन के, हनुमंत औषधि लाए, तासे सुधि आवन की , गढ़ ........ ।।
राज विभीषण पाए, मृत्यु निकट रावन की, रघुवर सीता पावन की, गढ़ ........ ।।
राज लछीमन सीता लौटहि, अवधपुरी में हरसे, भरत शत्रुहन पावन की, गढ़ ........ ।।
राम सिंहासन बैठे, लछिमन चँवर डुलाऐं, सखियन मंगल गावन की, गढ़ ........ ।।
हरियर गोबर अंगना लिपायो, मातु कौशल्या करी आरती, मोतियन चौक पुरावन की, गढ़ ........ ।।
देव मनुज जै बोलें, गुरू वशिष्ठ आशीषें, घर-घर बाज बधावन की, गढ़ ........ ।।