Folk Songs


    आज हिमाल तुमन के धत्यूंछौ

    आज हिमाल तुमन के धत्यूंछौ, जागौ-जागौ हो म्यरा लाल,
    नी करण दियौ हमरी निलामी, नी करण दियौ हमरो हलाल।

    विचारनै की छां यां रौजै फानी छौ, घुर घ्वां हुनै रुंछौ यां रात्तै-ब्याल,
    दै की जै हानि भै यो हमरो समाज, भलिकै नी फानला भानै फुटि जाल।

    बात यो आजै कि न्हेति पुराणि छौ, छांणि ल्हियो इतिहास लै यै बताल,
    हमलै जनन कैं कानी में बैठायो, वों हमरै फिरी बणि जानी काल।

    अजि जांलै कै के हक दे उनले, खालि छोड़्नी रांडा स्यालै जै टोक्याल,
    ओड़, बारुणी हम कुल्ली कभाणिनाका, सांचि बताओ धैं कैले पुछि हाल।

    लुप-लुप किड़ पड़ी यो व्यवस्था कैं, ज्यून धरणै की भें यौ सब चाल,
    हमारा नामे की तो भेली उखेलौधें, तैका भितर स्यांणक जिबाड़ लै हवाल।

    भोट मांगणी च्वाख चुपड़ा जतुक छन, रात-स्यात सबनैकि जेड़िया भै खाल,
    उनरै सुकरम यौ पिड़ै रैई आज, आजि जांणि अघिल कां जांलै पिड़ाल।

    ढुंग बेच्यो-माट बेच्यो, बेचि खै बज्याणी, लिस खोपि-खोपि मेरी उधेड़ी दी खाल,
    न्यौलि, चांचरी, झवाड़, छपेली बेच्या मेरा, बेचि दी अरणो घाणी, ठण्डो पाणि, ठण्डी बयाल।

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