रमेश सिंह मटियानी 'शैलेश' | |
जन्म: | अक्टूबर 14, 1931 |
जन्म स्थान: | ग्राम - बाड़ेछीना (अल्मोड़ा) |
शिक्षा | - |
पिता: | श्री बिशन सिंह मटियानी |
माता: | - |
पत्नी | - |
व्यवसाय: | लेखक |
निधन: | अप्रैल 24, 2001 |
शैलेश मटियानी एक प्रसिद्ध उपन्यासकार व कहानीकार थे। इनका जन्म अल्मोड़ा के बाड़ेछीना गांव में हुआ था। जब ये पांचवी कक्षा में पढ़ते थे तभी इनके माता पिता का देहान्त हो गया था। इसके बाद वे अपने रिश्तेदारों के साथ रहने लगे। जहां इनकी पढ़ा्रई बीच में ही छूट गई। परन्तु कुछ साल काम करके इन्होने हाईस्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की, उसके बाद ये दिल्ली रोजगार की तलाश में चले गये। लगभग 20 या 21 की उम्र में ही इन्होने कहानियां व कविताएं लिखनी आरम्भ कर दी थी। सर्वप्रथम इनकी रचनाएं 'अमर कहानी' व 'रंगमहल' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। दिल्ली जाने के बाद कुछ समय वे अमर कहानी पत्रिका के संपादक आचार्य ओमप्रकाश गुप्ता जी के वहीं रहे थे। इसके बाद में वे इलाहाबाद आ गये थे। मटियानी जी ने विकल्प और जनपक्ष नामक दो पत्रिका का सम्पादन भी किया।
1984 में इन्हे फणीश्वर रेणु पुरूस्कार मिला। यह पुरूस्कार उन्हे गरीबों के शोषण पर लिखे उपन्यास 'मुठभेड़' के लिये मिला था। इसके अतिरिक्त राममनोहर लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान व शारदा सम्मान भी मिल चुका है। 1994 में कुमाऊँ विश्वविघालय द्वारा डी. लिट् की मानद उपाधि दी गई।
इनके प्रमुख उपन्यास : उगते सूरज की किरण, पुनर्जन्म के बाद, आकाश कितना अनन्त है, मुठभेड़, सावित्री, बर्फ गिर चुकने के बाद, सूर्यास्त कोसी, गापुली गफूरन, मुख सरोवर के हंस, कबूतर खाना, माया सरोवर, हौलदार, बावन नदियों का संगम, उत्तरकांड, किस्सा नर्मदा बेन गंगू बाई, नागवल्लरी आदि।
प्रमुख कहानी संग्रह : हारा हुआ, भेड़े और गड़रिये, तीसरा सुख, अतीत तथा अन्य कहानियाँ, नाच जमुरे नाच, उत्सव के बाद, सफर घर जाने से पहले, आदि।
मटियानी जी ने कुछ लोक कथाएँ संग्रह भी लिखी जिनमें कुमाऊँ की लोक कथाएँ, बारामण्डल की लोक कथाएँ, डोटी प्रदेश की लोक कथाएँ, चंपावत व अल्मोड़ा की लोक कथाएँ प्रमुख है।
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