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    रमेश पोखरियाल

    rameshpokhriyal 

     डाॅ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'

     जन्म:  जुलाई 15, 1959 
     जन्म स्थान:  ग्राम - पिनानी, पौड़ी गढ़वाल 
     पिता:  श्री परमानंद पोखरियाल  
     माता:  श्रीमती विशाम्भरी देवी 
     पत्नी:  श्रीमती कुसुम्कंता 
     बच्चे:  3
     व्यवसाय:  राजनीतिज्ञ, लेखक, कवी 
     शिक्षा:  एम.ए., पी.एच.डी., डी.लिट
     राजनीतिक दल:  भारतीय जनता पार्टी 

    ‌पोखरियाल जी पहली बार कर्णप्रयाग (चमोली) वि. सभा निर्वाचन क्षेत्र से सन् 1991 में उ.प्र. वि. सभा में पहुंचे। दूसरी बार भाजपा के टिकट पर ही 1993 में और तीसरी बार 1996 में यहीं से जीत हासिल कर वि. सभा में पहुंचे। आप उ.प्र. मंत्रिमंडल में उत्तरांचल विकास मंत्री और बाद में संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री रह चुके हैं। राजनीति में निरन्तर सक्रियता के बावजूद आप साहित्य, संगीत और संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों में शिरकत करते रहते हैं। आप अच्छे लेखक भी हैं। हिन्दी और गढ़वाली में आपने कई पुस्तकें लिखी हैं। पोखरियाल जी उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी, पर्यटन समिति और गढ़वाल वि.वि. कार्य परिषद के सदस्य रहे है। 'नई चेतना' संस्था के निदेशक, गढ़वाल पत्रकार परिषद के उपाध्यक्ष, पर्वतीय विकास परिषद के महासचिव, उत्तराखण्ड लेखक संघ के सचिव और साहित्यिक संस्था 'परिवेश' के अध्यक्ष भी रहे हैं। समर्पण, नवांकुर, खड़े हुए प्रश्न और भीड़ साक्षी है आदि एक दर्जन कृतियों के रचनाकार श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' दैनिक 'सीमान्त वार्ता' के भी सम्पादक हैं।


    राजनीतिक पद


    ‌• सदस्य, विधानसभा, उत्तर प्रदेश (1991-1992 और 1993-2000)
    • उत्तरांचल विकास मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार (1997-1998)
    • संस्कृति और धर्म मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार (1999-2000)
    • सदस्य, विधानसभा, उत्तराखंड (2000-2002 और 2007-2014)
    • वित्त, राजस्व, योजना आदि सहित 12 विभागों के मंत्री, उत्तराँचल सरकार (2000-2002)
    • चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, आयुष, विज्ञान और भाषा मंत्री, उत्तराखंड (2007-2009)
    • मुख्यमंत्री, उत्तराखंड, अतरिक्त प्रभार - गोपन, गृह, उर्जा, लोक निर्माण, वन, उच्च शिक्षा, आपदा प्रबंधन और पुनर्वास, सुचना, आवास आदि, नेता सदन, उत्तराखंड विधानसभा (2009-2011)
    • सदस्य, 16वी. लोकसभा (2014-2019)
    • सदस्य, लोक लेखा समिति (2014-2016)
    • अध्यक्ष, सरकारी आश्वासन पर समिति सदस्य, ग्रामीण विकास पर स्थायी समिति सदस्य, सलाहकार समिति, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (2014-2019)
    • सदस्य, सामान्य प्रयोजन समिति (2015-2019)
    • सदस्य, सार्वजनिक खाता समिति (2018)


    साहित्यिक जीवन


    ‌डाॅ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' द्वारा लिखी गयी पहली पुस्तक 'समर्पण' जो की एक कविता संग्रह थी, 1983 में प्रकाशित हुई। डॉ. पोखरियाल जी के 10 कविता संग्रह, 12 कहानी संग्रह, 10 उपन्यास, 2 पर्यटन ग्रन्थ, 6 बाल साहित्य, 2 व्यक्तित्व विकास सहित कुल 4 दर्जन से अधिक कृतिया प्रकाशित हो चुकी हैं आज भी तमाम व्यस्तताओं के होते हुए भी यह सिलसिला जारी है।
    डाॅ. 'निशंक' के साहित्य के क्षेत्र में अब दर्जनों सम्मान एवं पुरस्कार मिल चुके हैं। उनके साहित्य को देश-विदेश में विश्व की विभिन्न भाषाओं जैसे- जर्मन, अंग्रेजी, फ्रैंच, तेलुगु, मलयालम, मराठी आदि में
    अनुवाद किया जा चुका है। उनके साहित्य की महत्ता को देखते हुए मद्रास, चेन्नई, हैंबर्ग तथा माॅरिशस में प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में इसे शामिल भी किया गया है।


    प्रकाशित पुस्तके


    कविता संग्रह- समर्पण, नवांकुर, मुझे विधाता बनना है, तुम भी मेरे साथ चलो, देश हम जलने न देंगे, जीवन पथ में, मातृभूमि के लिए, कोई मुश्किल नहीं, ऐ वतन तेरे लिए, संघर्ष जारी है
    कहानी संग्रह - क्या नहीं हो सकता, भीड़ साक्षी है, बस एक ही इच्छा, रौशनी की एक किरण, खड़े हुए प्रश्न, विपदा जीवित है, एक और कहानी, मेरे संकल्प, मिल के पत्थर, टूटते दायरे


    उपन्यास- मेजर निराला, बीरा, निशांत, छूट गया पड़ाव, अपना पराया, पहाड़ से ऊँचा, पल्लवी, प्रतिज्ञा, भागोवाली, कृतघन, शिखरों के संघर्ष


    व्यक्तित्व विकास- सफलता के अचूक मंत्र, भाग्य पर नहीं परिश्रम पर विश्वास करें, संसार कायरो ले लिए नहीं, सपने जो सोने न दें


    बाल साहित्य- आओ सीखे कहानियों से, स्वामी विवेकानद जीवन माला


    खंडकाव्य- प्रतिज्ञा


    पर्यटन- (धरती का स्वर्ग उत्तराखंड भाग - 1) हिमालय का महाकुम्भ नंदा राजजात, (धरती का स्वर्ग उत्तराखंड भाग - 2) स्पर्श गंगा ( उत्तराखंड की पावन जलधारायें), (धरती का स्वर्ग उत्तराखंड भाग - 2) अलौकिक सौंदर्य (उत्तराखंड के नैसग्रिक स्थल)


    संस्कृति- भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं परम्परा, विश्व धरोहर गंगा (गंगा एवं उत्तराखंड की पवन नदियाँ)


    डायरी/संस्मरण/यात्रा वर्तान्त- मेरी कथा मेरी व्यथा, मारिसस की स्वर्णिम स्मृतियाँ, प्रलय के बीच

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