इस नृत्य की लय झोड़े की अपेक्षा अधिक विलम्बित होती है तथा उसके साथ गाये जान वाले गीत विभिन्न प्रकार के होते हैं। इस नृत्य के लिए उपयुक्त अवसर मेले ही प्रमुख होते हैं। इन नृत्यों के गीतों का विषय धार्मिक आराधना, प्राकृतिक प्रेम इत्यादि पर आधारित होता है।
छोरी लछिमा तेरी चप्पल टूटैली।
लौंडा मोहना तेरी नौकरी छूटैली ।।
छोरी लछिमा माछा लागो ध्वीड़ा।
लौंडा मोहना माछा लागो ध्वीड़ा।।
छोरी लछिमा त्यारा खुटा काना।
बूड़ो, लछिमा म्यारा खुटा पीड़ा।।
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