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    बची सिंह रावत

    Bachi Singh Rawat

    श्री बची सिंह रावत

    जन्मअगस्त 1, 1949
    जन्म स्थानपाली गाँव, अल्मोड़ा
    पत्नीश्रीमती चंपा रावत
    बच्चे1
    पेशाराजनीतिज्ञ
    शिक्षाविधि, एम.ए. अर्थशास्त्र
    मृत्युअप्रैल 18, 2021

    श्री बची सिंह रावत उत्तरखंड के उन दिग्गज नेताओं में शुमार थे जिनका ताल्लुक उत्तर प्रदेश से भी था। वह भाजपा के प्रमुख प्रादेशिक नेता और पूर्व सांसद थे।


    जीवनी


    बची सिंह का जन्म 1 अगस्त 1949 को रानीखेत के पास के पली गाँव, ज़िला अल्मोड़ा में हुआ था। इनकी स्कूली शिक्षा अल्मोड़ा में ही हुई। इनका मूल गृहस्थान हल्द्वानी, उत्तरखंड है। अपनी परास्नातक की पढाई इन्होने लखनऊ विश्वविद्यालय से की जहाँ से इन्हे विधि की उपाधि मिली और एम.ए.अर्थशास्त्र इन्होने आगरा विश्वविद्यालय से पूरा किया।


    व्यक्तिगत जीवन


    इनकी शादी सुश्री चंपा रावत से हुई और इनके एक पुत्र है जिसका नाम शशांक रावत है।


    राजनैतिक जीवन


    1992 में पहली बार वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए और 1993 में दोबारा विधायक का चुनाव लड़ा और जीत के आये।


    अगस्त 1992 में 4 महीने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री बनाये गए। 1996 में लोक सभा चुनाव जीतकर सांसद बने और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा। 1996-1997 तक संसद की कई कमिटी के सदस्य रहे। 1998 में दोबारा लोक सभा में चुनकर आये। 1998-99 तक फिर महत्वपूर्ण कमिटियों जैसे सूचना-प्रसारंण मंत्रालय के सलाहाकर रहे। 1999 में दोबारा लोक सभा चुनाव हुए और तीसरी बार रिकॉर्ड मार्जिन से सांसद चुनकर आये। 1999 में ही पहली बार केंद्र सरकार में रक्षा राज्य मंत्री का पद संभाला और फिर 1999-2004 तक निरंतर विज्ञान और तकनीकी केंद्रीय राज्यमंत्री रहे। 2004-2006 में फिर से लोक सभा सांसद बने लेकिन इस बार विपक्ष में बैठना पड़ा। 2007 चुनाव में पार्टी अध्यक्ष बने और पार्टी को विधान सभा चुनावों में बहुमत दिलवाया और 2009 तक इस पद पर बने रहे।


    ख़ास बातें


    उत्तर प्रदेश से 2 बार विधायक लेकिन उत्तराखंड विधान सभा चुनाव कभी नहीं लड़ा।
    उत्तरखंड से एक ही सीट से लगातार 4 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड।
    2012 उत्तराखंड चुनाव में भाजपा प्लानिंग कमिटी के चेयरमैन रहे और मैनिफेस्टो बनाने में अहम भूमिका निभाई।
    15 वें लोक सभा चुनाव में नैनीताल को सीट बनाना पड़ा क्यूंकि अल्मोड़ा सीट आरक्षित घोषित हो गई थी।
    2014 में पार्टी से नाराज़ होकर सभी पदों से इस्तीफा दे दिया परन्तु बाद में वापस आ गए।


    मृत्यु


    फेफड़ों मे संक्रमण के कारण उन्हें एम्स हॉस्पिटल, ऋषिकेश मे 18 अगस्त 2021 को भर्ती कराया गया जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली।

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